जीव की उत्पत्ती और सूची एवं रीढ़ विहीन जीवो की उत्पत्ति कैसे हुई ( Origin and list of organism and how spineless organisms originated )
(1) सूक्ष्म तथा रीढ विहीन जीव की उत्पति--
पृथ्वी पर जीव की उत्पति कब और कैसे हुई, निश्चित रूप से यहबताना बड़ा कठिन है वैज्ञानिक के अनुसार जीवन की उत्पति पृथ्वी की उत्पति के अंतिम चरण मै हुई; परन्तु अधिकांश वैज्ञानिकों अभी किसी मत पर नहीं पहुँच सकें हैं!
कुछ वैज्ञानिकों का मत हैं कि आज से करोड़ों वर्ष पूर्व, पानी मै जीव का जन्म हुआ | सबसे पहले कहा जाता हैं कि सूक्ष्म तथा रिढविहीन जीव की उत्पति हुई| इस जीव को "आदि जीव" कहा जाता हैं यह जीव जैली के समान एक अत्यंत सूक्ष्म जीव था|
उस पर कोई खाल और हड़ी नही थी इसमे संभवता वनस्पति और पशु दोनों लक्षण विधमान थे | यह आदि जीव एककोशिकिये था, इस जीव के उप-विभाजन से ही अनेक अस्तित्व मै आये|
(2) खोलयुक्त एवं जल- स्थलचर--
करोड़ो बर्ष के उपरांत इस प्रकार के पिरानियो का जन्म होना प्रारंभ हुआ, जिनके ऊपर आवरण अथवा खोल था| इस श्रेणी के प्राणियो मै घोंघे, केकडे, जलबिच्छु और मछलिया सम्मिलित थे|
इसके बाद पृथ्वी पर मेंढक तथा बहुत से रेंगने वाले प्राणी (साँप) आकर रहने लगे| ऐसे प्राणी जल तथा स्थल दोनो मैं रहते थे इसी कारण इन्हे "जल- स्थलचर जीव" कहा जाता हैं|
(3) अंडाज श्रेणी के प्राणी--
जल वायु मै परिवर्तन के फलस्वरूप कालांतर मै इस प्रकार के प्राणी दिखाई देने लगे जिनकी उत्पति अंडो अथवा बीजो हुई थी|
इनमें मगरमच्छ, बड़े- बड़े सर्प आदि प्रमुख थे| इसी काल मै डायनासोर के समान इतने बडे जीव जन्तु उत्पन्न हुये जिनकी लंबाई 30 मीटर थी|
(4) नभचर एवं स्तनपायी प्राणियो की उत्पति--
कई करोड़ वर्ष के बाद आकाश मै उड़ने वाले तथा स्तनपायी प्राणियो कि उत्पति हुई| इसके अतिरिक्त अब प्राणियो का जन्म गर्भ (womb) से भी होने लगा| नभचर प्राणियो मै चिड़िया तथा स्तनपायी प्राणियो मै नर- वानर अवश्यक हैं बंदर लंगूर और चिम्पांजी इसी श्रेणी मै शामिल किए जाते हैं
(5) मानव की उत्पति--
मानव की कहानी अत्यन्त रहमयी है| मानव बंदर या लंगूर बनसज है या नही यह एक विवाद का विषय है| इतना अवश्य है कि वह बंदरो आदि से पर्याप्त मिलता है था| आधुनिक ज्ञानियों का मत है कि नर- वानर से ही आज लगभग 10 लाख वर्ष पूर्व ऐसे प्राणी का जन्म हुआ, जो मानव के समान था|
धीरे- धीरे ये प्राणी वृक्षों से उतर कर अपने पिछले पैरो खडे होकर चलना सीख गये और धरती पर रहने लगे | समय के साथ- साथ वे अपने हाथो का प्रयोग करने लगे और उनकी बुध्दि का भी विकास हुआ| इस बुद्धि के बल पर ही मानव ने अपना वर्तमान
स्वरूप प्राप्त किया|
टिप्पणियाँ